उदासी क्यों बैचेन कर देती है,
उदासी क्यों मायूस कर देती है,
ये सब तो मेरी संगिनी हैं,
फिर क्यों ये दुश्मन बन जाती है.
खुशी क्यों उत्साहित करती है,
जोश क्यों प्रोत्साहित करता है,
ये सब तो मेरे दुश्मन है,
फिर क्यों ये दोस्ती निभाते हैं.
तुम क्यों घिरी रहती हो इनसे,
तुम क्यों जलती हो इनसे,
ये सब तो जीवन के पहलू हैं,
फिर क्यों परेशान होती हो इनसे.
संतोष शर्मा
उदासी क्यों मायूस कर देती है,
ये सब तो मेरी संगिनी हैं,
फिर क्यों ये दुश्मन बन जाती है.
खुशी क्यों उत्साहित करती है,
जोश क्यों प्रोत्साहित करता है,
ये सब तो मेरे दुश्मन है,
फिर क्यों ये दोस्ती निभाते हैं.
तुम क्यों घिरी रहती हो इनसे,
तुम क्यों जलती हो इनसे,
ये सब तो जीवन के पहलू हैं,
फिर क्यों परेशान होती हो इनसे.
संतोष शर्मा
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