'नज़रिया' क्या हो तुम?
एक मापदंड जो बताता है
तस्वीर तुम्हारी...
ये मापदंड बदल जाता है
जब तस्वीर हो मेरी..
बचपन में एक ख्याल दिमाग में
उमड़ता था मेरे
क्या ऐसा हो सकता है
जो मुझे लाल दिखता हो
दूसरो के लिए सफेद हो?
और अपने ही 'नजरिये' से
अपने ही रंग को
संशय में डाल देती..
इसी 'नजरिये' के भ्रम में
कुछ भी निश्चित नहीं हो पाता..
आज अहसास होता है 'संतु'
तुम्हारा संशय करना
कोई गलत न था..
आखिर 'नजरिया' ही तो
निश्चित करता है
रंग 'लाल' है या 'सफेद'?
संतोष शर्मा 'संतु'
एक मापदंड जो बताता है
तस्वीर तुम्हारी...
ये मापदंड बदल जाता है
जब तस्वीर हो मेरी..
बचपन में एक ख्याल दिमाग में
उमड़ता था मेरे
क्या ऐसा हो सकता है
जो मुझे लाल दिखता हो
दूसरो के लिए सफेद हो?
और अपने ही 'नजरिये' से
अपने ही रंग को
संशय में डाल देती..
इसी 'नजरिये' के भ्रम में
कुछ भी निश्चित नहीं हो पाता..
आज अहसास होता है 'संतु'
तुम्हारा संशय करना
कोई गलत न था..
आखिर 'नजरिया' ही तो
निश्चित करता है
रंग 'लाल' है या 'सफेद'?
संतोष शर्मा 'संतु'
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