Friday, December 24, 2010

जीवन के पल

कुछ पल खुशी के इंसान के पास,
आगे और पीछे यादों की आस.
पलपल व सोचे आगे की बातें,
आशा निराशा किताबी हिसाब.

जब भी मिला गम हँसते रहे,
जल्दी- जल्दी हम चलते रहे.
जीवन छोटी सी चादर सा है,

खींचो उधर तो इधर फिरन है.

जितना भी चाहो बढाना इसे,
पल पल रिस कर पाना इसे.
कुछ ही लम्हो में गुजर जायेगा,
यादों का बन्धन सिरक जायेगा.
ऐसी कहानी बनावो अभी,
मिटकर भी जीवन पावो तभी.


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