Saturday, April 8, 2017

ये कदापि नहीं...

आदर या सम्मान का अर्थ ये कदापि नहीं
कि मैं कमजोर हूँ
अगर हूँ सामने नतमस्तक तो ये कदापि नहीं
कि मैं अवसादग्रस्त हूँ
अगर देती हूँ  प्रत्त्युतर तो ये कदापि नहीं
कि असहिष्णुता है मुझ में
हर एक इंसान संघर्षों का पर्याय है
उन्ही में से हर एक ख़ास है
हर एक को अपनी खासियत बनाये
रखने का अधिकार है
और ये तुम्हारी आदत नहीं विश्वास है 'संतु'
                     संतोष शर्मा




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