Saturday, April 8, 2017

ऎसे ही सदियाँ बीत जायेगी.....

           

ऎसे ही सदियाँ बीत जायेगी
पर तुम यूँ ही
जवानी की दहलीज पर रहोगे
तुम्हारे अपने
बचपन, तरुण और जीवन की
अंतिम संध्या तक होंगे
पर तुम्हारा मुखमंडल हमेशा
तरुणाई के अठखेलियों से
देदीप्तयमान रहेगा।
समय तुम्हारे लिए
रुक चुका है
तुम्हारी उम्र ने तुम्हे
बाँध लिया है
कोई नहीं देख सकता
तुम्हारे चेहरे पड़ती झुर्रियां
क्योकि तुम तो खुद एक
वक्त बन चुके हो।
फिर भी एक इन्तजार है
शायद तुम भी
अपनो के साथ, अपनो की तरह
जीवन की राहों से गुजरोगे
और तुम्हे फिर कोइ वक्त
नहीं बाँध पायेगा....
           

संतोष शर्मा 'संतु'



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